MarriageSolution.in: Reliable Legal Partner


IPC धारा 107 (Section 107 IPC in Hindi) – अपराध के लिए उकसाना



परिभाषा (Definition)

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 107 में किसी अपराध को करवाने में सहायता, प्रेरणा या साजिश को परिभाषित किया गया है।

इसका मतलब है:

  • उकसाना (Instigation): किसी व्यक्ति को अपराध करने के लिए शब्दों, इशारों या किसी भी माध्यम से प्रेरित करना।
  • साजिश (Conspiracy): दो या दो से अधिक लोग मिलकर अपराध की योजना बनाते हैं।
  • सहायता (Aiding): अपराध को करने के लिए साधन, हथियार या अन्य मदद प्रदान करना।

नोट: धारा 107, मुख्य अपराध का हिस्सा न होकर, उस अपराध को करवाने की तैयारी और सहयोग से जुड़ी है।


IPC 107 समझाया: भारतीय कानून के तहत अपराध के लिए उकसाने की परिभाषा।
IPC 107 अपराध के लिए उकसाने को परिभाषित करता है, जिसमें किसी व्यक्ति को उकसाना, साजिश करना और सहायता प्रदान करना शामिल है।

IPC 107 – मुख्य बिंदु (Key Elements)

  1. उकसाना (Instigation)
    • किसी को अपराध करने के लिए उकसाना।
    • माध्यम → शब्द, संकेत, या लिखित/डिजिटल संचार।
    • उदाहरण: किसी को चोरी करने के लिए कह देना।
  2. साजिश (Conspiracy)
    • दो या अधिक लोग अपराध करने का समझौता करते हैं।
    • अपराध के लिए ठोस योजना बनाना।
    • उदाहरण: बैंक लूटने की योजना बनाना।
  3. सहायता (Aiding)
    • अपराधी को हथियार या साधन देना।
    • अपराध को अंजाम देने में अन्य प्रकार की मदद करना।
    • उदाहरण: चोरी के लिए गाड़ी उपलब्ध कराना।
  4. साझी जिम्मेदारी (Joint Liability)
    • अपराध में शामिल सभी लोग समान रूप से जिम्मेदार होते हैं।
    • चाहे उनकी भूमिका छोटी हो या बड़ी।
  5. आशय (Intention)
    • सभी व्यक्तियों का उद्देश्य अपराध को अंजाम देना होना चाहिए।
    • केवल मौजूद रहना पर्याप्त नहीं है, अपराध करने की मंशा भी होनी चाहिए।

सजा और दंड (Punishment under IPC 107)

  1. यदि अपराध हो जाता है:
    • उकसाने वाले / साजिशकर्ता को मुख्य अपराधी के समान सजा मिलती है।
  2. यदि अपराध नहीं होता है:
    • उकसाने वाले को मुख्य अपराध की आधी सजा मिल सकती है।
  3. जुर्माना:
    • न्यायालय परिस्थितियों के अनुसार जुर्माना भी लगा सकता है
  4. न्यायालय का विवेक:
    • सजा का निर्धारण अदालत मामले की गंभीरता और भूमिका को देखकर करती है।

जमानत (Bailable or Not?)

  • सामान्यतः IPC 107 के अपराध जमानत योग्य होते हैं
  • लेकिन जमानत इस बात पर निर्भर करती है कि जिस अपराध के लिए उकसाया गया है, वह जमानत योग्य है या नहीं

उदाहरण:

  • यदि उकसाना हत्या (IPC 302) के लिए है → गंभीर अपराध, गैर-जमानती
  • यदि उकसाना साधारण चोट (IPC 323) के लिए है → जमानती

उदाहरण (Examples of IPC 107)

  • किसी को हत्या करने के लिए प्रेरित करना।
  • बैंक डकैती की योजना बनाना।
  • चोरी के लिए हथियार उपलब्ध कराना।
  • धोखाधड़ी में सहयोग करना।

सरल सारणी (Quick Info Table)

अपराधपरिभाषासजाजमानत
उकसानाकिसी को अपराध के लिए प्रेरित करनामुख्य अपराध के समानअपराध की प्रकृति पर निर्भर
साजिशअपराध की योजना बनानामुख्य अपराध के समानअपराध की प्रकृति पर निर्भर
सहायताअपराध के लिए साधन/उपकरण देनामुख्य अपराध के समानअपराध की प्रकृति पर निर्भर
अपराध न होनाअपराध की योजना बने लेकिन अपराध न होआधी सजाअपराध की प्रकृति पर निर्भर

IPC Section 107 FAQs

Q1. IPC धारा 107 किसे परिभाषित करती है?
अपराध के लिए उकसाना, साजिश रचना या सहायता देना।

Q2. अगर अपराध नहीं होता है, तो क्या सजा मिलती है?
अपराध न होने पर, उकसाने वाले को मुख्य अपराध की आधी सजा दी जा सकती है।

Q3. क्या IPC 107 जमानती है?
सामान्यतः हाँ, लेकिन यह अपराध की प्रकृति पर निर्भर करता है।

Q4. IPC 107 और 120B (आपराधिक षड्यंत्र) में क्या अंतर है?
धारा 107 में उकसाना और सहायता भी शामिल है, जबकि धारा 120B केवल षड्यंत्र (agreement) पर आधारित है।


अगर आपको कोर्ट की कार्यवाही, IPC/BNSS मामलों, या विवाह-संबंधी कानूनी समस्याओं में मदद चाहिए, तो हमारी टीम Marriage Solution आपकी सहायता कर सकती है।

देखें: Marriage Solution – Lawyer Help

  • enquiry form भरें।
  • विशेषज्ञों से कस्टम कानूनी सलाह प्राप्त करें।
  • अपने केस के लिए step-by-step मार्गदर्शन पाएं।

हम आपकी ज़रूरत के अनुसार व्यक्तिगत समाधान देने के लिए हमेशा तैयार हैं।


IPC 300

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *